Dear Diary,
क़भि कभि मे बहुत खुश रहता हू। पता नहि क़्युन पर दिन भर जैसे गुंगुनाता रह्ता हून। लेप्तोप पे चल रहे गाने बस दिल से बातेन कर रहे होतेन हे। और सब कुछ बहुत अच्छा लग रहा होता हे। दिन भर मे किसि छोटि लड्कि कि तरह मुस्कुराता रह्ता हून। लोग शायद मुझे पागल समझ्ते होंगे। मगर ये मेरा पगल्पन नहि हे। य़े तो बस मे खुश हू। आज ये हिंदि मे लिखना भि बस इसि खुशि का इजहार हे शायद। पता नहि किस बात कि खुशि हे, कुछ बद्ला तो नहि हे, फिर शायद हमेशा हि ऐसे हि खुश रह सकते हे, कुछ बदल्ने कि जरुरत भि नहि हे। वैसे तो मे हर रोज भि कोइ दुखि नहि रहता मगर आज कि खुशि कुछ अलग हे। सुबह उठते से हि मन जैसे चहक रहा हे। बहुत दिनों बाद आज हिंदि मे कुछ लिखा हे, लिखने मे बहुत दिक्कत हो रहि हे। ऐसा लग रहा हे जैसे शब्द जोड्ने पड रहें हे। और मे हिंदि मिडियम स्कूल मे पढा हूं, बताओ ः० ।
बस इतना बहुत हे। उम्मीद हे मुझे कि हर रोज ऐसा हि हो।
शुभ रात्रि...