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GeetRay Karna's Dear Diary

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April 08, 2022
    Dear Diary अहम में डुबा परिन्दा, बाज़ की ऊंचाई तो पाता नहीं, तुर्रा आसमां की लोभ में थक कर ख़ाक हो जाता है। नचनी ज़रा धीरे धीरे सांस ले लेकर,नाच लम्बी रात में, हमदर्दी है वर्ना रात के किनारे से,किन्नर भी हार जाता है।           -::: गीत रे कर्ण :
    Apr 08